श्रीमद् भागवत कथा में ठाकुर जी का हुआ रुक्मणी से विवाह

श्रीमद् भागवत कथा में ठाकुर जी का हुआ रुक्मणी से विवाह

अनन्य सोच।  नायला के बूज रोड स्थित रामजीपुरा स्थित निंबार्क संत आश्रम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में मंगलवार को रास पंचाध्यायी, उद्धव चरित्र और ठाकुर जी के रुक्मणी जी के साथ विवाह का प्रसंग सुन श्रोता भक्तिरस से सराबोर होकर भजनों की सुमधुर धुनों पर नाचते रहे.  कथा व्यास डॉक्टर अशोक शास्त्री ने गोपी गीत का भी सुंदर वर्णन किया. आश्रम महंत मामा महाराज श्रीसर्वेश्वर शरण दास के सानिध्य में चल रहे अनंत श्री विभूषित शुकदेव दास महाराज के एकादश स्मृति महोत्सव में श्रीधाम वृंदावन एवं अन्य तीर्थ स्थलों से आए संत महंतों के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा में आचार्यश्री ने बताया कि रासलीला एक पवित्र चरित्र है, जहां प्रस्थान करने से पूर्व अपने हृदय और चरित्र को पवित्र करना होता है. ठाकुर जी ने रुक्मणी जी के विवाह के साथ ही 16 हजार 108 विवाह क्यों किये. आचार्यश्री ने कहा कि ठाकुरजी ने यह विवाह स्वयं की इच्छा से नहीं किये, बल्कि विभिन्न कारणों से उस समय शोषित और पीड़ित महिलाओं के उद्धार के लिए उनके पूर्व जन्म में किए गए कर्मों का फल प्रदान करने के लिए उन्हें अपनाया. आचार्यश्री के सुपुत्र श्यामेश ने बताया कि हर व्यक्ति अपनी किसी न किसी इच्छा को लेकर भागवत कार्य करता है, लेकिन इसके बावजूद हमारी श्यामा जू, गिरिराज जी और भोलेनाथ ऐसे भक्त वत्सल हैं जो भक्तों की सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के साथ-साथ उन्हें भगवत प्राप्ति भी सहज रूप से कराते हैं.