मां गार्गी बोली -- ऑक्सीजन, भोजन, और नींद जिसके भी गड़बड़ होंगे उसके शरीर का सिस्टम गड़बड़ होना तय

Ananya soch
अनन्य सोच। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पांच प्रमुख तत्व बहुत ही आवश्यक है इनके नजदीक रहना ही होगा. इनसे ही हमारे शरीर का निर्माण हुआ है. जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु और आकाश यह सब हमारी प्रगति में सहायक है। और ऊर्जा के प्रमुख स्रोत है, इनसे ही हम ऊर्जा ग्रहण करते हैं.
हम इनसे जितनी नजदीकी बनाएंगे तो व्यक्ति ऊर्जा से भरेगा। यह बात मंगलवार को भवानी निकेतन परिसर सीकर रोड में प्रारंभ हुए छह दिवसीय नए दृष्टिकोण वाले शिविर में सन टू ह्यूमन प्रमुख परमालय जी की प्रमुख प्रशिक्षक इंदौर (सेजवानी) से यहां पहुंची मां गार्गी ने लगभग 20,000 से अधिक साधकों की उपस्थिति में उन्हें संबोधित करते हुए कही। इस दौरान भवानी निकेतन परिसर तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. भोर में 5.30 बजे से पक्षियों की चहचहाहट और ठंडी हवाओं के बीच आयोजन की शुरुआत हुई. इस मौके पर शहर के लोगों में उत्साह दिखा और अपना स्थान संभाला. आयोजन की शुरुआत में मां गार्गी ने सभी से विनम्रतापूर्वक आग्रह करते हुए कहा कि आप इस मौके पर प्रकृति का भरपूर आनंद प्राप्त कर ईश्वर को धन्यवाद दें और इस महत्वपूर्ण अवसर का लाभ उठाएं.
मां गार्गी ने बढ़ती बिमारियों पर सबका ध्यान केंद्रित करते हुए बताया कि प्रकृति का मनुष्य को विकसित करने के लिए सबसे पहला नियम ऑक्सीजन है. हमें अपने जीवन में सभी नियम पता होते हैं लेकिन जिस प्रकार व्यापार भी नियमों से संचालित होता है, उसी प्रकार हमें जीवन को भी पूर्ण नियमों की आवश्यकताओं पर ही ध्यान देना होगा. छोटी से छोटी वस्तु की शुरुआत भी नियम से होती है.
प्रकृति के 3 नियम अत्यंत आवश्यक
मां गार्गी ने बताया कि प्रकृति के 3 नियम जीवन में अत्यंत आवश्यक है. इसमें सबसे पहला ऑक्सीजन, दूसरा भोजन और तीसरा नींद जिसको हम विश्राम कहते हैं, इसके बिना हमारा संपूर्ण जीवन ही नीरस हो जाता है. इस अवसर का लाभ उठाने के लिए नया दृष्टिकोण वाले शिविर के पहले दिन भवानी निकेतन परिसर का आयोजन स्थल पूरी तरह भर गया. गुलाबी शहर और बाहर से आए लोग निर्धारित समय के अनुसार अपनी-अपनी अपनी जगह पर आसान बिछाकर शांत और प्रसन्नचित्र नजर आए. मां गार्गी ने परिसर में बने विशाल मंच से साधकों को संबोधित करते हुए बताया कि प्रकृति के तीनों नियमों को हमें पहले पूरी तरीके से समझना होगा. उन्होंने बताया की ऑक्सीजन, भोजन, और नींद जिसके भी गड़बड़ होंगे उसके पूरे शरीर का शरीर सिस्टम गड़बड़ होना ही है.
सम्यक आहार, सम्यक व्यायाम, सम्यक निद्रा यह शरीर में ऊर्जा का निर्माण करती है. शिविर में युवा वर्ग में अधिक उत्साह दिखा वे हर तरफ सभी का सहयोग भी करते नजर आए.
मां-बाप से सीखकर छोटा बच्चा ज्यादा फॉलो करता है
इस मौके पर मां गार्गी ने कहा यह सब बातें मां-बाप से सीखकर छोटा बच्चा ज्यादा फॉलो करता है. हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी, लेकिन आज आधुनिकता की दौड़ में हम इन सभी से निरंतर दूर होते जा रहे हैं.
प्रकृति पर विशेष रूप से बोलते हुए उन्होंने बताया, हमारा प्रकृति से आज कनेक्शन ही नहीं रहा. आयोजन से जुड़े संजय माहेश्वरी, कमल सोमानी, विवेक लड्ढा, नरेंद्र बैद्य, राजेश नागपाल, आलोक तिजारिया ने बताया कि शिविर को लेकर जयपुर शहर और बाहर से आए लोगों में उत्साह नजर आया. शिविर समय से पूर्व लोगों ने अपना स्थान ग्रहण किया और लगभग 2000 से वॉलिंटियर्स ने मार्गदर्शन किया.
अनेक प्रकार से छोटे- छोटे प्रयोगों और नृत्य करवाएं
शिविर में पहुंचे हर उम्र के लोगों ने मां गार्गी को ध्यानपूर्वक सुना. इस दौरान मां गार्गी ने छोटे-छोटे प्रयोग भी करवाएं और नृत्यगान भी करवाया तो लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. व्यवस्थित और शांत वातावरण में लोगों के प्रकृति के प्रति भाव जागृत हो गए. सभी ने पहले धरती माता को फिर सूर्य देव को प्रणाम किया। इस मौके पर सम्यक आहार, सम्यक व्यायाम और सम्यक ध्यान के मंच से दिए जा रहे विशेष सूत्रों पर साधकों का ध्यान केंद्रित रहा। कई साधकों ने मोबाइल और नोटबुक में भी मां गार्गी के कथनों को संजोया।