Natak Park: नाटक पार्क: एक खास बेंच पर बैठने की जद्दोजहद ने दर्शकों को किया लोटपोट

Natak Park:  नाटक पार्क:  एक खास बेंच पर बैठने की जद्दोजहद ने दर्शकों को किया लोटपोट

Ananya soch: Natak Park 

अनन्य सोच। मानव कौल द्वारा लिखित नाटक 'पार्क' रवींद्र मंच के मिनी थिएटर में मंचित हुआ. नाटक का निर्देशन शहर के युवा रंगकर्मी शिवांकर पाण्डे ने किया. नाटक में विस्थापन और अपमान के आघात को देखा गया था. यह एक पार्क में तीन लोगों के बीच अपनी जगह के लिए लड़ने की कॉमेडी है. तीन बेंच हैं लेकिन पर्याप्त जगह नहीं. एक व्यक्ति अपने डॉक्टर के इंतजार करते हुए दो अजनबियों से भाग्यवादी मुलाकात होने के बाद अपनी बेंच को लेकर खुद को एक बहस में हिस्सेदार पाता है. एक खास बेंच पर बैठने के लिए उनके तर्क छोटी सी बात से शुरू होकर अंतरराष्ट्रीय बहस तक ले जाते हैं. हल्के-फुल्के मजाक से जो शुरू होता है वह स्थान, क्षेत्र और स्वामित्व को लेकर एक गंभीर संघर्ष में बदल जाता है. बातचीत के दौरान ज्यादातर गर्म और संघर्षपूर्ण, व्यक्तिगत और बड़ी राजनीति सामने आती है, जिससे जीवन और भावना की नजुकता का पता चलता है. जगह पर अपना हक जमाने के लिए किरदार उदहारण देते हुए आदिवासियों, नक्सलियों, कश्मीर के मुद्दे के साथ इजराइल और फिलिस्तीन तक बात पहुंचा जाते है. विस्थापन का दर्द दर्शाते हुए बताया गया कैसे जब तक कोई आदमी या समुदाय एक जगह से हटा दिए जाने पर कितना ही आवाज़ उठाए, उनके संघर्षों को समाज द्वारा अनसुना कर दिया जाता है. नाटक में मानसिक स्वास्थ्य एवं ख़ास संतान के साथ जुड़े संघर्षों को भी दिखाया है. नाटक में शुभम अग्रवाल, भव्य पाराशर, अविरल त्रिवेदी, साक्षी खानवानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नाटक में संगीत निर्देशन अगम भट्ट और प्रकाश परिकल्पना अनिमेष आचार्य द्वारा की गई.