नेक चोर ने खोखलेपन एवं  अनैतिकता को किया बेनकाब

नेक चोर ने खोखलेपन एवं  अनैतिकता को किया बेनकाब

अनन्य सोच, जयपुर। नाटक नेक चोर का मंचन रविंद्र मंच पर हुआ. डारियो फो लिखित इस नाटक का हिंदी रूपांतरण एवं निर्देशन जयपुर के युवा रंगकर्मी एवं निर्देशक  विजय प्रजापत ने किया. यह नाटक वैवाहिक स्त्री-पुरुष संबंधों के खोखलेपन एवं अनैतिकता का मुखौटा ओढ़े कथित सभ्य समाज की तस्वीर दिखाता है. नाटक की कहानी इस प्रकार है कि एक चोर एक मकान में चोरी करने के लिए आता है और कुछ देर बाद मकान मालिक के वापस आ जाने के कारण वह उसी घर में छिप जाता है. मकान मालिक के साथ एक और औरत है जो कि उसकी पत्नी नहीं है. चोर किसी तरह पकड़ा जाता है, लेकिन तभी मकान मालिक की पत्नी भी आ धमकती है और उसके बाद जबरदस्त गड़बड़ियों एवं उधेड़बुन के साथ यह नाटक आगे बढ़ता है. कई लोगों की असलियत को सामने ला देता है. इस पूरे कथानक को लेखक ने बहुत सुंदरता से हास्य के ताना-बाना के साथ बुना है, जिससे दर्शक दिल खोलकर हस सके. नाटक दर्शकों को हंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है. नाटक में गौरव,रितिका, योगेश, सेफाली, शुभम , कल्पना, रवि सोनी ने अपने अभिनय से प्रस्तुति को जीवंत बनाया. नाटक का सेट डिजाइन एवं कस्टुम कल्पना मौर्य ने किया. संगीत संचालन कमलेश बैरवा का रहा. प्रकाश व्यवस्था विजय प्रजापत ने की तथा बैकस्टेज चंद्रिका व सुनैना ने की. मंच के  मैनेजर प्रियव्रत सिंह चारण ने बताया कि इस दौरान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, फिल्म व टीवी जगत के कलाकार,  कलाप्रेमी, साहित्यकार एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.