लेखक की अपनी तलाश है कथा तरंग की कहानियां
अनन्य सोच, जयपुर। वरिष्ठ कवि डॉ नंदकिशोर आचार्य का कहना है कि "हर कहानीकार यथार्थ की सृष्टि करता है जो उसने देखा है अथवा जिया है। उसकी रची कहानी में दरअसल उसका यथार्थ होता है। हर कहानी में अपना प्लॉट होता है। लेखक अपनी खुद की तलाश में लिख रहा होता है और यह तलाश ही कहानी को नया रूप देती है।" उन्होनें कहा कि कभी कभी कहानी की रचना प्रक्रिया ही कहानी बन जाती है। कथा तरंग सीरीज में शामिल कहानियाँ का यह नयापन पाठक को लुभाता है।" वे आज डॉ राधकृष्णन पुस्तकालय में शब्दार्थ प्रकाशन की ओर से आयोजित कथा तरंग सीरीज की तीन पुस्तकों के लोकार्पण में बोल रहे थे। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ हेतु भारद्वाज ने कहा कि कथा का छोटा अथवा बडा होना उसकी श्रेष्ठता का आधार नहीं होता है। कथा के आकार से कहानी नहीं बनती बल्कि उसका कथानक उसे रोचकता देता है। कहानी में मौलिकता जैसी बातें आज कोई महत्व नहीं रखती बल्कि आप किसी बात को किस अंदाज़ से कहते हैं यही महत्वपूर्ण है। वरिष्ठ आलोचक डॉ दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि कथा तरंग सीरीज की कहानियाँ अपने कलेवर में छोटी होते हुए भी सीधे पाठक को संबोधित करती है। ये कहानियाँ कथा साहित्य का लोकतंत्रीकरण करती हैं। ये कहानियाँ कथा लेखन के राहस्यावरण को तोड़कर उन्हें सहज बनाती हैं। इन कहानियों में कथा के परंपरागत ढांचे को तोड़ने का प्रयास किया गया है। ये नई धारा की कहानियाँ हैं। लेखक इंदुशेखर तत्पुरुष ने कहा कि छोटी कहानी होते हुए भी कहानी के सारे प्रतिमानों को ध्वस्त करती हुई नई शैली की कहानियाँ हैं। यहां डिटेलिंग नहीं है पर जीवन को देखने का नया अंदाज़ है।
कथाकार उमा व तस्नीम ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कथा तरंग सीरीज की ये कहानियां सहज, सरल व कलेवर में छोटी कहानियाँ हैं लेकिन इनमें कलात्मकता है। इन कहानियों पर शार्ट मूवीज बनाई जा सकती है। ये रोमांचित करती हैं। पाठक इनसे सहज ही जुड़ जाता है।
कार्यक्रम का संयोजन अजय अनुरागी ने किया।