रवीन्द्र मंच की अनुपम छवि को पेंटिंग्स में किया साकार
Ananya soch
अनन्य सोच। रवीन्द्र मंच और कलावृत्त संस्था की ओर से आयोजित दो दिवसीय कला शिविर का सोमवार को समापन हुआ। प्रदेश के विभिन्न इलाकों के 28 कलाकारों ने कैम्प में हिस्सा लिया। कलागुरु डॉ. सुमहेन्द्र द्वारा निर्मित गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की मूर्ति की स्थापना के 42 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शिविर लगाया गया। बड़ी संख्या में कला प्रेमी शिविर में पहुंचे और मंच की पहल की सराहना की। कलाकारों को मंच प्रदान करने और आमजन को रवीन्द्र मंच से जोड़ने के लिए ऐसी गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है.
दूसरे दिन कलाकारों ने हैंडमेड पेपर पर तैयार की जा रही अपनी पेंटिंग्स को पूरा किया। किसी ने रवीन्द्र मंच परिसर में हरियाली का चित्रण किया, किसी ने जयपुर की हेरिटेज के रूप में रवीन्द्र मंच की तस्वीर उकेरी, परिसर में बैठ पेंटिंग बनाते कलाकारों की छवि भी कागज पर उतरी। खास बात यह रही कि कुछ कलाकारों ने कलागुरु डॉ. सुमहेन्द्र को याद करते हुए उनकी तस्वीर को भी रवीन्द्र मंच के साथ साकार किया। कई कलाकार ऐसे रहे जिन्होंने डॉ. सुमहेन्द्र से कला की बारीकियां सीखी थी। उन्होंने डॉ. सुमहेन्द्र और रवीन्द्र मंच के साथ जुड़े अपने अनुभव भी साझा किए। डॉ. सुमहेन्द्र की 8 वर्षीय पौत्री रोहिता शर्मा ने भी शिविर में हिस्सा लेकर अपना हुनर दिखाया। शिविर में तैयार सभी पेंटिंग्स को रवीन्द्र मंच के संग्रह में शामिल किया जाएगा।
कलावृत्त संस्था के अध्यक्ष संदीप सुमहेन्द्र ने बताया कि डॉ. जगदीश प्रसाद मीणा और निधि शर्मा दूसरे दिन शिविर का हिस्सा बने। सभी कलाकारों ने रवीन्द्र मंच और गुरुदेव की प्रतिमा को एक फ्रेम में लाकर पेंटिंग्स बनायी। कलाकारों ने अपने विजन और कल्पना से रवीन्द्र मंच की अनुपम छवि को साकार किया।