Anushree Foundations : अनुश्री फाउंडेशन की अनोखी पहल, लगाए गुलमोहर, अमलतास, जामुन सहित 500 से अधिक देशी प्रजाति के पेड़

अविनाश पाराशर।

Anushree Foundations : अनुश्री फाउंडेशन की अनोखी पहल, लगाए गुलमोहर, अमलतास, जामुन सहित 500 से अधिक देशी प्रजाति के पेड़

Ananya soch: Anushree Foundations 

अनन्य सोच। Anushree Foundations: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'एक पेड़ माँ के नाम' अभियान के तहत अनुश्री फाउंडेशन ने अपना लगातार तीसरा वार्षिक वृक्षारोपण अभियान चलाया. यह काय्रक्रम रयान एडुनेशन स्कूल के साथ संचालित हुआ. इस अवसर पर सहायक पुलिस आयुक्त श्री संजय शर्मा, पार्षद गिरिराज शर्मा और शंकर बाजडोलिया प्रोत्साहित करने आए और साझा किया कि पेड़ लगाना और हरा-भरा भविष्य चुनना कितना महत्वपूर्ण है. एसीपी संजय ने बच्चों को प्रेरित किया और कहा, 'हमें अपनी मातृ प्रकृति की रक्षा के लिए प्रति परिवार सदस्य कम से कम एक पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए.

गुलमोहर, अमलतास, जामुन सहित 500 से अधिक देशी प्रजाति के पेड़ थे, नीम जैसे औषधीय पेड़, माता-पिता और स्कूलों के छात्रों और अनुश्री फाउंडेशन के स्वयंसेवकों द्वारा लगाए गए थे. एनजीओ AF (अनुश्री फाउंडेशन) की संस्थापक अनुश्री दासोत ने बताया कि हम लगातार तीन साल से वृक्षारोपण को अपने वार्षिक एजेंडे में एक मुख्य प्रोग्राम के तहत, अनुसरण कर रहे हैं. उन्होंने आगे बताया, “हर किसी को कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए और यह आने वाली पीढ़ी के लिए भविष्य में सस्टेनेबल विकल्प चुनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हरित व सस्टेनेबल भविष्य सबसे अच्छा उपहार है जो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दे सकते हैं, यह हमें गर्मी के साथ-साथ वायु प्रदूषण से भी बचाएगा”.
हरित भविष्य के लिए विज्ञान परियोजनाएँ थीं जिन्हें रयान इंटरनेशनल स्कूल के उत्साहित छात्रों द्वारा प्रदर्शित कि गयी. कार्यक्रम के साथ सुंदर संगीतमय योग प्रदर्शन भी किया गया। प्रिंसिपल सर बहारुल इस्लाम और प्रशासक प्रतिभा राठौड़ द्वारा विचारित एक उत्साहजनक परंपरा है - जिसमें वे सभी छात्रों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने जन्मदिन पर स्कूल में टॉफी और चॉकलेट के बजाय एक पौधा लेकर आएं. उनका मानना ​​है कि विद्यार्थियों को न सिर्फ पौधे लगाने चाहिए बल्कि उनका ईमानदारी से रख-रखाव भी करना चाहिए. 
इस कार्यक्रम ने सभी अभिभावकों और छात्रों को भविष्य में सस्टेनेबल विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपने बच्चों के साथ पेड़ लगाने के अपने प्रयासों पर गर्व भी हुआ. आखिर 
“प्रकृति सिर्फ एक घूमने कि जगह नहीं है, यह हमारा घर है".