Pt Gokul Chand Rao Art Writing Award: सेलेब्रिटी रिपोर्टर विजय सिंह को पं. गोकुल चंद राव कला लेखन अवार्ड
Pt Gokul Chand Rao Art Writing Award: 41वें गुणीजन संगीत समारोह में हुआ सुर, लय और ताल का संगम श्याम सुन्दर शर्मा ने ध्रुवपद गायन और डॉ. श्वेता गर्ग ने दी कथक की प्रस्तुति
Ananya soch: Pt Gokul Chand Rao Art Writing Award
अनन्य सोच, जयपुर। Pt Gokul Chand Rao Art Writing Award: संगीत गुरु पं. गोकुल चंद राव की स्मृति में बुधवार को संगीतज्ञ पं. गोकुल चंद राव की स्मृति में 41वां गुणीजन संगीत एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया. सबरंग संस्था की ओर से आयोजित हुए इस समारोह में डॉ. श्याम सुन्दर शर्मा के ध्रुवपद गायन और डॉ. श्वेता गर्ग की कथक नृत्य की प्रस्तुति के साथ
सांस्कृतिक लेखन में उल्लेखनीय योगदान देने केे लिए सेलेब्रिटी रिपोर्टर विजय सिंह को पं. गोकुल चंद राव कला लेखन, डॉ.श्वेता गर्ग को कथक के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देनेे के लिए पं. गोकुल चंद राव कला अवार्ड से सम्मानित किया गया.
इसके साथ ही समारोह मेें संगीत, नृत्य और चित्रकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के कई हस्तियों को भी सम्मानित किया गया. उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण, शिक्षाविद् देवनारायण जैमन, जाने-माने वैदिक चित्रकार रामू रामदेव, समाज सेवी कुन्दन लाल पठानी, सबरंग के सचिव पं. राजेन्द्र राव, अध्यक्ष अनिल तिवारी और वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा ने सभी को स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और शॉल आदि देकर सम्मानित किया.
कार्यक्रम की शुरूआत पं. रमेश मेवाल के गाए गणपति श्लोक से हुई. इसके बाद बाल कलाकार आद्या जैन, अदिति और नविका सिंह ने एक मिनट में कथक के ‘तत्-तत्-थेई’ के पचास चक्कर लगाकर वहां मौजूद लोंगों को हैरत में डाल दिया.
समारोह मेें डॉ. श्वेता गर्ग ने रक्षिता शेखावत और प्रियाशा जैन के साथ मिलकर होली की ठुमरी को जिस नज़ाकत भरे अंदाज़ में प्रस्तुत किया उससे परिवेश होली के रंग मे रंग गया. श्वेता ने इसके अलावा कथक में चाला, ठाठ, परण जोड़ी, आमद, तिहाईयों और 53 चक्कर का मयूरी तोड़ा प्रस्तुत कर अपनी नृत्य साधना का बेहतरीन प्रदर्शन किया. उनके साथ तबले पर पं. कौशल कान्त पंवार, सारंगी पर उस्ताद अमीरूद्दीन और हारमोनियम व गायन पर पं. रमेश मेवाल ने संगत की.
तत्पश्चात् ध्रुवपदाचार्य स्व. पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग और विदूषी डॉ. मधु भट्ट तैलंग के शिष्य डॉ. श्याम सुन्दर शर्मा का ध्रुवपद गायन हुआ. उन्होंने राग बिहाग को अपनी प्रस्तुति का माध्यम बनाया। पखावज पर प्रतीश रावत ने संगत की.