एक नारी और दो खादी की साड़ी फ़ॉर्मूला करेगा आर्टिजंस का हित
Ananya soch:
अनन्य सोच। राजस्थान की गर्मी में खादी की बनी साड़ियाँ अगर पहनी जाएगी तो ना तो महिलाओं को पसीने से होने वाली बीमारियां होंगी और गर्मी भी कम लगेगी. यह कहना है “जयपुर साड़ी स्टोरी “ में खादी और लोकल आर्टिजंस की बुनी साड़ियो को प्रमोट करने आई डॉ जेनिस दरबारी का. डॉ जेनिस , इस समय कंसल्टेंट जरनल ऑफ़ मोंटेनेग्रो की डिप्लोमैट हैं.
मोंटेनेग्रो यूरोप का एक देश है, यहाँ पर यूनेस्को की सबसे अधिक हैरिटेज साइट्स मौजूद है. साथ ही साथ वे पूरी दुनियाँ में भारत के कल्चर और पहनावे को प्रमोट करने के लिए भी जानी जाती हैं. जयपुर साड़ी स्पीक के बैनर तले होटल लेमन ट्री हिल्टन में आयोजित हुए इस प्रोग्राम में आयोजन साधना गर्ग से बात करते हुए डॉ जेनिस ने कहा कि खादी ने तो देश की आज़ादी की लड़ाई में क्रांति ला दी थी.
महिलाओं ने अंग्रेज़ी कपड़े का बहिष्कार करते हुए खादी की बुनी हुई साड़ियाँ और कपड़े पहनना शुरू कर दिया था. आज अंग्रेज तो नहीं हैं मगर आज हम ख़ुद हाथ की बुनी साड़ियाँ नहीं पहनते. बुनकर और कारीगर इस लिये बुरे हाल में हैं. अगर एक महिला साल में मात्र दो हाथ से बनी साड़ियाँ पहन ले तो देश में कारीगरों के हालात बदल जाएँगे. साथ ही स्किन के रोग भी कम होंगे.आयोजक साधना गर्ग ने बताया कि इस प्रोग्राम का मक़सद महिलाओं को देश भर में बनने वाले बुने हुए कपड़े और लोकल कलाकारों के बारे में बात करना था ताकि लोकल आर्ट दुनियाँ में प्रमोट हो.
साड़ी और वाले इस कार्यक्रम में शहर की जानी मानी 150 से अधिक महिलाएँ हिस्सा लिया. इस मौके पर फ्री पिछवई व फ़्लॉवर पेटल पार्टी भी आयोजित की गई. इसमें महिलाओं को पिछवाई आर्ट बनाना सिखाया गया.साथ ही साथ इस कला के इतिहास के बारे में भी बताया गया.वहीं पैटल पार्टी में वास्तविक फूलों से बने गहने बनाकर महिलाओं को पहनाए गये.