book launch event: रति सक्सेना हिंदी साहित्य में एक जीते जागते अन्याय का नाम

नवल पांडेय।

book launch event: रति सक्सेना हिंदी साहित्य में एक जीते जागते अन्याय का नाम

Ananya soch: book launch event

अनन्य सोच। “ रति सक्सेना हिंदी साहित्य में एक जीते जागते अन्याय का नाम है.यह कहना है वरिष्ठ कवि कृष्ण कल्पित का. रविवार को प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित रति सक्सेना की पाँच पुस्तकों के विमोचन कार्यक्रम में कल्पित ने कहा कि सच्चे रचनाकार को पहचान की परवाह नहीं करनी चाहिए क्योंकि सुनियोजित तरीक़े से किया गया अन्याय ज्यादा दिन तक टिकता नहीं है. कवि को धीरज रखना चाहिए. उनका कहना था कि रति सक्सेना हिंदी की अकेली ऐसी कवयित्री हैं जो अपनी कविता के दम पर 45 देशों की यात्रा कर चुकी हैं. कल्पित ने कहा कि कवि होना एक बड़ी बात है क्योंकि कविता तो कोई भी लिख लेता है. हिंदी कविता का दुर्भाग्य है कि आज ऐसी किताबें छप रही है जिन्हें कबाड़ी भी ख़रीदने को तैयार नहीं है. हिंदी कविता के क्षेत्र में जितना काम रति ने किया है उसके आगे हिंदी की कोई कवयित्री नहीं ठहरती भले ही वह दिल्ली में ही क्यों न बैठी हो. रति सक्सेना पचास साल से लिख रही है और यह हिंदी संसार का दुर्भाग्य है कि उन्हें और उनके काम को पहचान तक नहीं दे सका. 

वरिष्ठ कवयित्री अजंता देव ने कहा कि हिंदी साहित्य की राजनीति में उपेक्षा कोई अनोखी बात नहीं है. हमारे यहाँ साहित्य में पहचान दिल्ली केंद्रित है लेकिन अच्छा काम देर सवेर पहचान दिलाता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ हेतु भारद्वाज ने कहा कि लेखक में ठहराव जरूरी है। उसे अपने प्रति निर्मम होना चाहिए क्योंकि यह निर्ममता ही उसे शिखर तक ले जा सकती है. प्रलेस राजस्थान के अध्यक्ष गोविंद माथुर ने कहा कि रति सक्सेना में लेखन के प्रति समर्पण और ऊर्जा जबर्दस्त है. इनका लेखन कई विधाओं में है और इनका अनुवाद कार्य भी बेहद महत्वपूर्ण है. रति सक्सेना लंबे समय से लिख रही हैं लेकिन हिंदी क्षेत्र में इनका काम अब सामने आया है.

इस अवसर पर उषा दशोरा, पूनम भाटिया और विजय राही ने भी रति सक्सेना की पुस्तकों पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन कविता मुखर ने किया.