डॉ. श्वेता गर्ग की शिव वंदना पर आधारित प्रस्तुति दी

Ananya soch
अनन्य सोच। विश्व नृत्य दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को राजस्थान इंटरनेशनल सैंटर के मिनि ऑडिटोरियम-प्रथम में नृत्यों का खास कार्यक्रम ‘नृत्यति’ आयोजित किया गया. इंडिया इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर कथक डांस एंड म्यूजिक की ओर से आयोजित इस रंगारंग समारोह में एक ओर कथक के जयपुर घराने की नृत्यांगना डॉ. श्वेता गर्ग ने ‘नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय, भस्मांगाय महेश्वराय’ रचना के जरिए भगवान शिव के तपस्वी रूप की नृत्मयी व्याख्या कर नृत्य प्रेमियों का दिल जीत लिया वहीं कथक नृत्य की साधना में लगे अनेक युवक-युवतियों ने भी उनको श्वेता गर्ग द्वारा मिले सबक का मनोयोग से प्रदर्शन किया.
समारोह की शुरूआत डॉ. श्वेता गर्ग के नृत्य से हुई। श्वेता ने शिव स्रोत पर आधारित नृत्य से अपनी प्रस्तुति की प्रभावी शुरूआत की. इस नृत्य में श्वेता ने अपने हस्तक, नेत्र और ग्रीवा के श्रेष्ठ संयोजन से नागराज को माला की तरह गले में धारण किए भगवान शिव के तपस्वी रूप को जीवंत किया साथ ही भगवान शिव के तीन नेत्र होने, भस्म से रमी हुई उनकी काया के साथ डमरू लेकर नृत्य करने की उनकी काया की भी नृत्य प्रेमियों को स्पष्ट अनुभूति करवाई। इसके बाद उन्होंने ताल तीनताल में चाला, ठाठ, मयूरी तोड़ा, त्रिपल्ली, मेरूखंड की परण और गत निकास जैसी कथक की पारंपरिक रचनाओं से अपनी नृत्य साधना का प्रदर्शन किया. इसके बाद चला श्वेता की शिष्य मंडली की प्रस्तुतियों का दौर जिसमें इन साधनारत नृत्यांगनाओं ने 12 और 17 मात्रा में जयपुर घराने का पारंपरिक नृत्य, ‘कान्हा सोजा जरा’ रचना पर आधारित भाव नृत्य, पंडित राजेंद्र गंगानी रसराज की रचना त्रिवट, शिव स्तुति और देशभक्ति नृत्य रचना ‘ए वतन वतन मेरे वतन’ की आकर्षक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया. जयपुर घराने की वरिष्ठ कथक नृत्य गुरु और फिल्म अभिनेत्री उषाश्री समारोह की मुख्य अतिथि थीं, इस मौके पर उषा ने श्वेता सहित सभी नृत्य प्रस्तुतियों की सराहना की और अंत में संस्था की ओर से सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह देकर उनका उत्साहवर्धन किया। डॉ. श्वेता गर्ग ने सभी का आभार व्यक्त किया.