समसामयिक लघु चित्रण में नव-सृजन शैलियों की तकनीकी संगम

समसामयिक लघु चित्रण में नव-सृजन शैलियों की तकनीकी संगम

अनन्य सोच।  जयपुर में 50 वर्षों की सृजन यात्रा देखी जा सकती है, जिसमें कई पहलु हैं. मौका है 1970 मे स्थापित कला संस्था कलावृत्त की ओर से राजस्थान ललित कला अकादमी ( Rajasthan Lalit Kala Academy) के संयुक्त तत्वावधान में चित्रकार-मूर्तिकार डॉ. सुमहेन्द्र की 50 वर्षों की सृजन यात्रा को समर्पित कार्यशाला का. इसमें देशभर के 61 चित्रकार इन दिनों सृजनरत हैं. प्रधान चित्रण के उद्देश्य से यह कार्यशाला हर वर्ष 2 नवम्बर को आयोजित होती है. कलागुरु सुमहेन्द्र ने अपने समय में इस प्रकार के बहुत से नव-प्रयोग किए, जिसमें उन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया "किशनगढ़ शैली" को. अपने सृजन सामाजिक कुरीतियों को अपनी अभिव्यक्ति द्वारा चित्रित किया, जिसमं उनके चित्रों के नायक-नायिका "बनी-ठनी और नागरीदास" को लेकर अनगिनत चित्र का चित्रण किए हैं. कार्यशाला मे राजस्थान, पंजाब, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, बंगाल आदि राज्यों के शहरों से चित्रकार प्रतिभाग कर रहे हैं.