जवाहर कला केंद्र में दो दिवसीय बसंत पर्व का आगाज

काव्य गोष्ठी में बयां हुआ बसंत का सौंदर्य  ख्यात कवि व शायरों ने बांधा समां   उस्ताद अली—गनी ने सजाई मांड गायकी की महफिल   मंगलवार को उस्ताद शुजात हुसैन खान की प्रस्तुति

अनन्य सोच, जयपुर। बंसत ऋतु के महत्व को जाहिर करने के उद्देश्य से जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित दो दिवसीय 'बसंत पर्व' का सोमवार को आगाज हुआ। केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत व इकराम राजस्थानी समेत अन्य वरिष्ठ कवियों व शायरों ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। पहले दिन 'साहित्य में बसंत' नामक काव्य गोष्ठी में वक्ताओं ने सभी को बासंती रंगों में रंग दिया। वहीं शाम को उस्ताद अली—गनी की मांड गायकी प्रस्तुति में श्रोता राजस्थानी गीतों पर झूमते नजर आए। जेकेके की अति. महानिदेशक प्रियंका जोधवत ने कहा कि साहित्य व संगीत को एक मंच पर लाकर बसंत के सौंदर्य को दर्शाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि हर कला का मूल तत्व साहित्य है, ऐसे कार्यक्रमों से समाज के हर वर्ग को जुड़ना चाहिए। 

गोष्ठी में बासंती रचनाओं की गूंज 

काव्य गोष्ठी में बसंत के रंगों व उल्लास को रेखांकित किया गया। 'देखिए बसंत का आगमन, क्षितिज से कदम बढ़ा रहा, मान हमारा जैसे बढ़ा रहा, नदियों की धार में नहा रहा।' इन पंक्तियों के साथ फारुक आफरीदी ने गोष्ठी की शुरुआत की। इनके बाद क्रमश: शोभा चंदर पारीक, बनज कुमार बनज, इकराम राजस्थानी, फारूक इंजीनियर और लोकेश सिंह 'साहिल' ने अपने शब्दों से समां बांधा। इकराम राजस्थानी ने भाई—बहन के प्यार को दर्शाने वाला राजस्थानी गीत 'काली बादली' गाया तो सभी की आंखें नम हो गयी। 'दिन में दिखे चांदनी, दिखे रात में धूप, जाने ये क्या कर गया, वो बासंती रूप' लोकेश कुमार सिंह 'साहिल' की इन पंक्तियों के साथ गोष्ठी का समापन हुआ। इस दौरान महाकवि जयशंकर प्रसाद और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के साहित्य पर भी प्रकाश डाला गया। कविताओं व शायरियों का श्रोताओं ने भरपूर आनंद लिया। 


मांड गायकी ने जीता दिल...
 
देश—विदेश में राजस्थान का नाम रोशन करने वाले उस्ताद अली—गनी ने मांड गायकी की महफिल सजाई। सर्द शाम में श्रोताओं ने राजस्थानी गीतों का आनंद लिया। सरस्वती वंदना से उन्होंने प्रस्तुति शुरू की। श्रंगार रस से सराबोर कालजयी राजस्थानी गीत 'केसरिया बालम आओ नी', 'मूमल', 'नैना रो लोभी आसी' सुनाकर उन्होंने सभी को मंत्र—मुग्ध कर दिया। तबले पर ताहिर हुसैन, की—बोर्ड पर अरशद अली, ढोलक पर लियाकत अली, ऑक्टो पैड पर शहादत अली, सितार पर किशन कथक ने संगत की।