कला शिविर संपन्न
डॉ. रेणु शाही की रिपोर्ट।
Ananya soch: Art camp
अनन्य सोच। 'रामगोपाल विजयवर्गी' के सम्मान एवं याद में ज़लमहल के पास स्थित पद्मश्री रामगोपाल विजयवर्गीय संग्रहालय द्वारा आयोजित कला शिविर का समापन समारोह हुआ, जिसमें जापान से आए विशिष्ट अतिथियों होरिके, जापानी टीवी डॉक्यूमेंट्री निर्माता मिस होरिके और यामामोतो ने अपने हाथों से विजेता रहे युवा कलाकारों को पुरस्कार तथा प्रमाणपत्र प्रदान किए. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार और दूरदर्शन के पूर्व निदेशक नन्द भारद्वाज द्वारा किया गया. इन्होंने कला और साहित्य के अंतर्संबंध और विजयवर्गीय के उपलब्धियां पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सब उन्हीं के सपनों का प्रतिफलन है. संबोधन में विनोद भारद्वाज, मोहन लाल गुप्ता जैसे ख्यात नाम व्यक्तित्व के उपलब्धियों पर भी चर्चा की गई. संग्रहालय के अध्यक्ष कमल विजयवर्गीय ने बताया कि जापान में भारतीय कला और संस्कृति को लेकर बहुत जिज्ञासा रहती है. इसी का परिणाम है कि वहां से आए अतिथियों और कला प्रेमियों ने भारतीय कलाकारों के सृजन में विशेष रुचि दिखाई. इस वर्ष शिविर में पचास से अधिक कलाकारों और कला विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दिखाई. इन्ही चित्रों में से पांच सर्वश्रेष्ठ और तीन सांत्वना पुरस्कृत दिए गए, जिनमें में विनायक मेघवाल, वसीम खान, टीना लालावत, अंजली राठौड़, प्रतीक्षा जैन को पांच हज़ार की नकद पुरस्कार तथा कविराज, विपुल दाधीच और गौरव सोनी को सांत्वना पुरस्कार के रूप दो हजार की नगद राशि एवं प्रमाण-पत्र दिया गया. कुल मिलाकर आठ पुरस्कार प्रदान दिये किए गये. इसमें राजस्थान विश्वविद्यालय, कनोड़िया कॉलेज, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स तथा अन्य संस्थानों के विद्यार्थी सम्मानित हैं. कुछ स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले कलाकारों ने भी शिविर में कृतियां निर्मित की. बाकी सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया. शिविर में निर्मित सभी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी जो बिक्री के लिए होगी. कार्यक्रम का संयोजन और संचालन प्रबोध कुमार गोविल द्वारा किया गया. संग्रहालय की प्रथम तल के कलादीर्घा में पद्मश्री रामगोपाल विजयवर्गी के अमूल्य चित्रों की लगी प्रदर्शनीभी लोगो के आकर्षण का केंद्र रही. यह प्रदर्शनी कला विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं सभी के अवलोकन के लिए कार्यालय के समय तक खुली रहती है. कला शिविर में भाग लेने वाले कलाकारों में से कुछ ने मच पर आकर अपने विचारों को प्रस्तुत किया. यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की लॉ फैकल्टी की छात्रा झनक का कहना है कि उनका पैशन कला ही है. वो अपने कैरियर में हमेशा इसे साथ में रखना चाहती हैं. आकाश इंस्टीट्यूट के विद्यार्थी प्रियांशु हमेशा कला से जुड़े रहना चाहते है किंतु वो वित्तीय सुदृढ़ता के लिए किसी नौकरी की तैयारी भी साथ- साथ ही चित्रकला करना चाहते हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के कला संकाय की योगिता कला में ही अपना भविष्य देखती हैं. कोटा के विनायक मेघवाल जो की राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स के छात्र है, अपना आर्ट स्टूडियो खोलना चाहते हैं और कला को ही अपना व्यवसाय बनाना चाहते हैं. इसी महाविद्यालय के पवन कुमार ने बताया कि कला में गहरी रुचि के चलते इस कैरियर को अपनाने का फैसला किया है। पवन एक कुशल पोर्ट्रेट कलाकार है. कम उम्र में उनकी कला साधना देखने को मिलती है। राजस्थान विश्वविद्यालय की विद्यार्थी खुशी व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए पहले अपना आर्थिक आधार बनाने वाले समानांतर पाठ्यक्रम के साथ कला के लिए समय देना चाहती हैं. दिल्ली के रहने वाले एकलव्य शर्मा भी राजस्थान की कला और संस्कृति से प्रभावित होकर कला को करियर बनाना चाहते हैं. वो डिजिटल वर्ल्ड से कला को और निखारने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सर्वश्रेष्ठ कृति का पुरस्कार प्राप्त करने वाली राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स स्नातकोत्तर की छात्रा टीना लालावत भी कला के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहती है जिसके लिए वे कठिन परिश्रम भी कर रही है, पर उनका मानना है कि ये सब वो अपने पिता परशुराम लालावत और मां प्रतिभा रानी के सहयोग एवं आशीर्वाद से कर पा रही हैं. हीना वर्मा का कहना है कि कला के नाते वह बहुत कुछ अलग से कर पा रही है. देखा जाए तो जितने मन उतने भाव, पर एक सत्य यह है कि सभी को मंच प्रदान कर अभिव्यक्ति करने का कार्य संग्रहालय के संचालकों द्वारा कठिन परिश्रम के परिणाम स्वरूप सम्पन्न हो पाता है। जो सदैव साधुवाद के योग्य है. इस अवसर पर शहर के गणमान्य व्यतियों में नन्द भारद्वाज , विनोद भारद्वाज , अशोक सुमन , शैलेन्द्र कुमार शर्मा, टीना शर्मा , राज कुमार चौहान, डॉ. अन्नपूर्णा शुक्ला, डॉ. रेणु शाही जैसे कलाकार और रचनाकार भी उपस्थित रहकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई.