व्यंग्य के लिए ज़रूरी है साहस
Ananya soch: Birth centenary of Harishankar Parsai
अनन्य सोच। Birth centenary of Harishankar Parsai: राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ (Rajasthan Progressive Writers Association) ने अपना स्थापना दिवस “हरिशंकर परसाई की जन्मशती” के रूप में मनाया गया. परिष्कार महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ हेतु भारद्वाज ने कहा कि परसाई के दृष्टिकोण ने जीवन के सभी फलकों का स्पर्श किया. उन्होंने अपने लेखन में सभी विसंगतियों पर भरपूर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि व्यंग्य के लिए बेहद ज़रूरी है साहस. व्यवस्था के विरुद्ध आवाज़ उठाने की ताक़त क्योंकि साहस से ही प्रहार किया जा सकता है.
इस अवसर पर चर्चित व्यंग्यकार -पत्रकार यशवंत व्यास ने कहा कि लेखक क्रांति के लिये नहीं लिखता बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए लिखता है. आज हर लेखक ने चींटी पर हथौड़ा मारने को ही व्यंग्य मान लिया है जो उचित नहीं है. व्यंग्य के लिए आपका अपना अनुभव भी लिखिए। परिष्कार महाविद्यालय के निदेशक डॉ राघव प्रकाश ने कहा कि आज समाज को आगे ले जाने के लिए विचारशीलता की आवश्यकता है. समाज में आज स्वस्थ बहसें समाप्त हो गई है. अच्छे विचारों का अभाव हो गया है। अभिव्यक्ति की उत्कृष्ट शैली व्यंजना में कहना महत्वपूर्ण है. परसाई की यही ताक़त उन्हें लोकप्रिय बनाती है.
डॉ रेणु व्यास का कहना था कि हास्य अपने से छोटे पर किया जाता है जबकि व्यंग्य अपने से बड़ों पर किया जाता है. व्यंग्य एक असुविधाजनक विधा है जो प्रायः लेखकों-पाठकों को भी असहज बना देती है. व्यवस्था आपको जेल में तो डाल सकती है लेकिन आपकी आवाज़ को नहीं दबा सकती. उन्होंने कहा कि आज चुनौतियों से लड़ने के लिए हर आदमी के जूते फटे हैं. आज मूर्खता अमर हो गई है और बुराई को ढकने के लिए देशभक्ति की पॉलिश आ गई है. आज महाजन जिस पथ पर चले वही धर्म है.
कार्यक्रम में रजनी मोरवाल, गोविंद माथुर, अजय अनुरागी, प्रभाशंकर उपाध्याय, प्रभात गोस्वामी, राजेंद्र मोहन शर्मा, उमा, प्रेमलता सोनी, कविता मुखर, अनीता श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे.