श्री शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन पार्वती की विदाई, गंगा अवतरण, समुद्र मंथन, अद्र्ध नारीश्वर, कार्तिकेय जन्म और गणपति प्राकट्य की कथा का कराया श्रवण

श्री शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन पार्वती की विदाई, गंगा अवतरण, समुद्र मंथन, अद्र्ध नारीश्वर, कार्तिकेय जन्म और गणपति प्राकट्य की कथा का कराया श्रवण

Ananya soch

अनन्य सोच। श्री शिव महापुराण कथा समिति,जयपुर की ओर से कांतिचंद रोड बनीपार्क में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन पार्वती की विदाई, गंगा अवतरण, समुद्र मंथन, अद्र्ध नारीश्वर, कार्तिकेय जन्म और गणपति प्राकट्य की कथा का श्रवण कराया. हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य,राजपूत समाज जयपुर के अध्यक्ष रामसिंह चंदलाई सहित अनेक विशिष्ट जनों ने कथा श्रवण किया. 

व्यासपीठ से संतोष सागर महाराज ने शिवजी के संग पार्वती के विवाह के बाद विदाई के प्रसंग में कहा कि नारी का जितना सम्मान भारत में है उतना कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि नारी की सुंदरता तन से नहीं मन से होती है। शरीर को एक दिन मुर्झाना ही पड़ता है। मन की सुंदरता ही स्थायी सौंदर्य है। एक अन्य प्रसंग में उन्होंने कहा कि आज यह समाचार पढक़र बड़ा दुख होता है कि दहेज की आग में किसी बेटी को जला दिया जाता है। ध्यान रहे कि किसी बाप ने अपनी बेटी आपके बेटे को बहु के रूप में दी है इसलिए उसे बेटी की तरह ही समझे बहू नहीं। बेटी से दोगुना प्यार बहु को देंगे तो घर में सुख-समृद्धि आएगी ही। बहुएं भी सास को सगी मां की तरह सम्मान दें। सास ने कुछ कह दिया तो बुरा नहीं मानना चाहिए। घर में मां लक्ष्मी का पूजन भले ही बाद में कर लेना पहले गृह लक्ष्मी का पूजन करें यानी उन्हें मान-सम्मान दें। जिस घर में नारी प्रसन्न रहती है। दुख का एक आसंू नहीं गिरता उस घर का वैभव घटता नहीं दिनों दिन बढ़ता है।

नारी को नारी का सम्मान करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो हमारे देश की संस्कृति ही खंडित हो जाएगी। कथा में कार्तिकेय और गणेशजी महाराज की कथा का श्रवण कराया गया। कथा के मध्य में हुए भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर नाचने लगे। हर हर महादेव, ऊं नम शिवाय की दिव्य ध्वनि बार बार गूंजती रही।

सत्संग के साबुन से मन को मांजे:

सत्संग की महिमा का बखान करते हुए कहा कि मन को नित्य मांजने की आवश्यक्ता है। अन्यथा इसकी चमक मंद पड़ जाती है। मन को मांजने का एकमात्र साबुन सत्संग ही है। चैतन्य महाप्रभु ने कलिकाल के जीव को नित्य मन के मार्जन पर जोर दिया। पानी पीने और भोजन करने की तरह सत्संग भी नित्य किया जाना चाहिए। सत्संग के बिना जीवन निरर्थक है। रोग तन में बाद में पहले मन में आता है।

ऊं नम शिवाय से कथा पांडाल बार-बार गूंजता रहा। पांचवें दिन की कथा प्रसंग के विश्राम पर महाआरती हुई। सुबह श्री शिव महापुराण कथा समिति,जयपुर के अध्यक्ष पं. सुरेश शास्त्री के सान्निध्य में शिव शक्ति महायज्ञ में आहुतियां प्रदान की गईं।

चार जुलाई तक होगी कथा:

श्री शिव महापुराण कथा समिति,जयपुर के महामंत्री अरूण खटोड़ ने बताया कि मंगलवार को दुर्वासा, हनुमान, भैरव के अवतारों की कथा होगी। कथा चार जुलाई तक प्रतिदिन दोपहर दो से शाम छह बजे तक होगी।