प्रेम, अध्यात्म और सांस्कृतिक दर्शन को खूबसूरती से पिरोता 'तारा और आकाश: लव बियॉन्ड रेल्म्स'

Ananya soch: 'Tara Aur Aakash: Love Beyond Realms'
अनन्य सोच। ‘तारा और आकाश: लव बियॉन्ड रेल्म्स’ अब 26 सितंबर 2025 को पैन-इंडिया स्तर पर भव्य सिनेमाई रिलीज़ के लिए तैयार है.
फिल्म के को-प्रोड्यूसर और मुख्य कलाकार मिस्टर सुप्रानेशनल 2016 – द्वितीय रनर-अप, जितेश ठाकुर और मिस दीवा 2016 फाइनलिस्ट, अलंकृता बोरा फिल्म के प्रमोशन के लिए जयपुर पहुंचे. जहां वे मालवीय नगर स्थित टीजीआईडी में मीडिया से रूबरू हुए, जहां उन्होंने फिल्म में शूटिंग के दौरान अनुभवों को साझा किया. फिल्म में इनके साथ दिग्गज कलाकार दीप्ति नवल और अमोल पालेकर भी लंबे समय बाद स्क्रीन पर साथ नजर आएंगे, जिससे फिल्म के कलाकार दल में कालजयी आभा जुड़ गई है.
इस दौरान जितेश ने बताया कि भारत-स्विट्ज़रलैंड का यह पहला संयुक्त सिनेमाई प्रयास है, जिसे व्हिस्पर्स फ्रॉम इटर्निटी फिल्म्स (डब्ल्यूएफ़ई) ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएफ़डीसी) के सहयोग से प्रस्तुत किया है. साथ ही स्विट्ज़रलैंड टूरिज्म और स्विट्ज़रलैंड सरकार का भी विशेष सहयोग प्राप्त हुआ है। ‘तारा और आकाश’ का अब तक का अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सफर भी बेहद उल्लेखनीय रहा है। इसका वर्ल्ड प्रीमियर 2024 में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टिफ) में हुआ, एशियन प्रीमियर 2024 में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (इफ़ी) में हुआ.
फ़िल्म से जुड़े अनुभवों पर बात करते हुए जीतेश आगे बताते है कि फिल्म इस तरह से स्विट्ज़रलैंड के मनोरम प्राकृतिक दृश्यों में फिल्माई गई यह कृति प्रेम, अध्यात्म और सांस्कृतिक दर्शन को खूबसूरती से पिरोती है. तारा और आकाश के माध्यम से हमने ऐसी प्रेम कहानी गढ़ने का प्रयास किया है, जो सिर्फ दो आत्माओं की नहीं, बल्कि संस्कृतियों, दर्शन और सार्वभौमिकता की भी बात करती है. इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहना मिलना और अब भारतीय दर्शकों तक पहुंचाना हमारे लिए बेहद खास अनुभव है.
वहीं फ़िल्म की अदाकारा और को-प्रोड्यूसर अलंक्रिता बोऱा ने भी अपने कलात्मक सफर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुवाहाटी, असम में जन्मी, मेरी यात्रा की शुरुआत कथक की शिक्षा से हुई, जहाँ मुझे महान पंडित बिरजू महाराज जी से सीखने का सौभाग्य मिला. नृत्य ने मुझे अनुशासन और सौंदर्य सिखाया, जो आज भी मेरे हर काम की नींव है। 17 साल की उम्र में मिस दीवा यूनिवर्स की सबसे कम उम्र की फाइनलिस्ट बनना मेरे लिए निर्णायक मोड़ था - इसने मुझे बड़े सपने देखने का साहस दिया. इसके बाद मुंबई आई और फैशन व विज्ञापन जगत में कदम रखा, जहां शीर्ष डिज़ाइनरों और ब्रांड्स के साथ काम करने का अवसर मिला. लेकिन सिनेमा हमेशा मेरा सपना था और तारा और आकाश के साथ मुझे लगता है कि मैंने सच में वह कहानी पा ली है जो मेरे कलात्मक आत्मा का प्रतिबिंब है. यह फिल्म मेरे लिए सिर्फ अभिनय नहीं है, बल्कि दिल से निकला एक भावनात्मक अभिव्यक्ति है.