Kailash Kher news: फिल्मी गानों से ज्यादा आध्यात्मिक सुक्तियों ने आकर्षित किया - कैलाश खैर 

नवल पांडेय। कैलाश खेर का कहना है कि यह किताब गानों के पीछे की कहानी बयां करती है. इसमें गानों के लिखे जाने की प्रक्रिया को दिखाया गया है. शब्द कोरे शब्द नहीं हैं उनके पीछे बहुत कुछ छिपा है. इन शब्दों में प्यार , इमोशन और जज़्बात होते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी को संगीतकार तो नहीं थे लेकिन पंडित थे , यज्ञ करते थे और कथावाचक भी थे. सत्संग करते थे जो उनके लिए पेशन से कम नहीं था. उन्हें मंच पर देखकर रोमांच होता था. पाँच साल का कैलाश न केवल चकित हो जाता था बल्कि सम्मोहित भी हो जाता था. पिताजी आध्यात्मिक पहेलियाँ गाते थे. मुझे बचपन से ही ये अध्यात्म की सूक्तियाँ आकर्षित करती रही हैं. मैं अध्यात्म से अभिभूत हूँ और यदि आपकी जड़ें मजबूत हों तो वृक्ष कल्पवृक्ष बन जाता है. दिल्ली वालों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि बाक़ी दुनिया से दिल्ली वालों की दुनिया अलग होती है. दिल्ली वाले असंभव को संभव करने की बातें बड़ी सहजता से कह जाते हैं. बात कोई हो पहले हाँ कह देना उनका स्वभाव होता है. कैलाश खेर ने कहा कि मैं प्रकृति और परमात्मा पर विश्वास रखता हूँ और उसी ने मुझे भरोसा दिया है. तमाम रिजेक्शन के बावजूद उसी के दम पर कामयाबी भी मिली है.रिजेक्शन के बाद सलेक्सन भी इसी भरोसे की बदौलत मिला है. कैलाश ने कहा कि “आई नो” वो ही बोलते हैं जिन्हें कुछ पता नहीं होता और वो ही बार बार आपसे “ यू नो यू नो” कहते रहते हैं क्योंकि उन्हें तो ख़ुद ही नहीं पता.

Kailash Kher news: फिल्मी गानों से ज्यादा आध्यात्मिक सुक्तियों ने आकर्षित किया - कैलाश खैर 

Ananya soch: Spiritual quotes attracted me more than film songs - Kailash Kher

अनन्य सोच। Kailash Kher news: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शुक्रवार को पदमश्री से सम्मानित एवं देश के जानेमाने सिंगर कैलाश खैर अपनी पुस्तक तेरी दीवानी को लॉन्च करने आए। बुक लॉन्चिंग के दौरान उन्होंने सिंगर बनने की यात्रा के कई महत्त्वपूर्ण वाकया श्रोताओं के सामने रखे। खैर ने बताया कि मेरे गानों में जो शब्द है उनके पीछे की कहानियां है तेरी दीवानी। लोगों की रिक्वेस्ट थी कि जो गाने आप गाते है उन्हें कैसे बनाते है, इन्हें बताओं क्योंकि आपके गाने हमारे जीवन से जुड़े है। लोगों की इस मनुहार के लिए दस साल पहले बुक लिखने के बीच अंकुरित हुए थे जो अब बाहर निकले है। जल्द अगली बुक आएगी। जिसका टाइटल होगा लूट में कितना मजा है कैसे बताऊ अग्रेंजी में क्रॉबिजे ऑफ फैलीयर्स। इसे बायोग्राफी भी कह सकते है। खैर ने संगीत की दुुनिया में आने का श्रेय पिता के आध्यात्मिक गीतों को दिया। खैर ने कहा कि जब पिता गाते थे तो चार-पांच साल का बालक कैलाश पगला हो जाता था। उन्हें  ऐसे सुनता था जैसे कोई स्वतंत्र आत्मा को सुन रहा हूं। मैं फिल्मी गानों से ज्यादा आध्यात्मिक सुक्तियों से आक्रशित हुआ। जिस उम्र में बच्चे साइंस और मैथ में उलझे रहते है उस समय में कला सीख रहा था। गाने की कला के लिए घर छोडऩा पड़ा तो लोगों ने कहा पढ़ता-लिखता है न हीं इसलिए घर से भाग जाता है। उनके इन तानों के कारण सिंगिंग क्लास के बारे में किसी को कहता नहीं था। क्योंकि जब तक कलाकार को पहचान नहीं मिलती वह अपनी पहचान छुपाता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। कोई पूछता क्या करता है तो जवाब देने से बचता था। क्योंकि पश्चिम देशों की तरह भारत में आर्ट को तवज्जों नहीं दी जाती।

प्रिंटिंग प्रेस में लेटर लगाए, अखबार में काम किया
सिंगर कैलाश खैर ने सेशन के दौरान लोगों को बताया कि संगीत की दुनिया में इतना डूब गया था कि पढ़ाई-लिखाई ज्यादा नहीं हो पाई। इसका नुकसान यह हुआ कि शुरूआती दिनों में कोई काम नहीं मिला।  पहली नौकरी प्रिंटिंग प्रेस की। वहां प्रिटिंग प्रेस में लेटर लगाता था। इसके बाद जनसत्ता और नवभारत टाइम्स जैसे अखबारों में काम किया। दिल्ली में ट्रक चलाएं। मगर विषम परिस्थितियों में जज्बा नहीं हारा। बीच-बीच में समय निकालकर स्टेज शॉ किए। इस बीच मुंबई स्थित महालक्ष्मी स्टूडियों से कॉमर्शियल विज्ञापनों के लिए जिगंल्स गाने का ऑफर मिला। उस समय पता नहीं था जिंगल्स क्या होते है, स्टूडियों पहुंचा तो उन्होंने कुछ गाने को बोला। पहले घबराया लगा यहां भी रिजेक्शन ही होगा। लेकिन जब गाया तो अंग्रेजी में प्रशंसा हुई। उसके बाद कई कंपनियों के लिए जिगंल्स गाए। जिंगल्स हिट हुए तो फिल्मों में गाने क ऑफर मिला। वर्ष 2006 में करयिर की शुरूआत हुई। खैर कैलाश मेरा पहला एलबम था। जिसमें तेरी दीवानी पहला गाना रिकॉर्ड हुआ। इसके बाद अल्लाह के बंधे गाना मिला उसके बाद तो बॉलीवुड से ऑफर पर ऑफर आए। 

मिलियन फॉलोवर्स वालें सिंगर शौक से नहीं शोक में गाते है 
सेशन के दौरान कैलाश खैर ने सोशल मीडिया फ्लेटफॉर्म पर मिलियन फॉलोवर्स रखने वाले सिंगरों की खिचाई की। खैर ने कहा कि मिलियन फॉलोवर्स वालों को जब मंच पर देखते है तो लगता है ये भारत को रिप्रजेंट कर रहे है। ये मिलिनियर्स शौक से नहीं बल्कि शोक में गाते है। 

पिता के गीतों से बांधी सुर 
खैर ने कहा कि मेरे पिता पंडित थे। वे यज्ञ कथा करते थे। कभी-कभी सत्संग भी करते थे। गाने का उनका शौक किसी पेशन से कम नहीं था। वे आध्यात्मिक सुक्तियां गाते थे। आज के पेशन को देखो तो लगता है सिंगर शोक में गा रहे है। 

खैर के पिता ये आध्यात्मिक गीत थे - 
नदी किनारे धनुष धरा था
धन संग बाण नहीं था जी
उसी धनुष से मारा मृगला
मृगा के छाप नहीं था जी