ये सिर्फ किताब ही नहीं, ये मेरी व्यक्तिगत यात्रा का भावनात्मक विस्तार है: हुमा क़ुरैशी 

होटल फेयरमोंट में हुई साहित्य, संवाद और सुपरहीरो की जादुई दुनिया पर कार्यक्रम  - विशाल माथुर की मेज़बानी में हुआ हुमा कुरैशी की पुस्तक ‘ज़ेबा’ का भव्य आर्काइव

ये सिर्फ किताब ही नहीं, ये मेरी व्यक्तिगत यात्रा का भावनात्मक विस्तार है: हुमा क़ुरैशी 

Ananya soch: It's not just a book, it's an emotional extension of my personal journey: Huma Qureshi

अनन्य सोच। विशाल माथुर कंसल्टेंट्स और होटल फेयरमोंट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रसिद्ध अभिनेत्री और लेखिका हुमा एस. कुरैशी की पुस्तक ‘ज़ेबा: एन एक्सीडेंटल सुपरहीरो’ का लोकार्पण किया गया और पुस्तक पर चर्चा की गई. इस खास अवसर पर पुस्तक का विमोचन जानी मानी सोशल एंट्रेप्रेन्योर विन्नी कक्कड़ द्वारा किया गया और ताबीना अंजुम वरिष्ट पत्रकार द्वारा मॉडरेट किया गया. कार्यक्रम न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायी रहा, बल्कि यह भी दर्शाया कि किस प्रकार कला, समाज और साहित्य एक साथ मिलकर प्रभावशाली संवाद स्थापित कर सकते हैं. कार्यक्रम में सौरभ कक्कड़, सुधीर कासलीवाल, राज बंसल, सुनीता शेखावत, कवी शर्मा, संगीता जुनेजा एवं अन्य गणमन्य मौजूद रहे.  

पुस्तक विमोचन के दौरान अपने विचार साझा करते हुए हुमा एस. कुरैशी ने कहा 'सुपरहीरो कोई भी हो सकता हैं और कुछ भी कर सकता है और ज़ेबा में उसके बारे में लिखा है. ‘ज़ेबा’ मेरे दिल के बेहद करीब है. साथ ही ‘ज़ेबा’ हमें बताती है कि सबसे मुश्किल समय में भी उम्मीद और शक्ति कैसे पाई जा सकती है. यह मेरी व्यक्तिगत यात्रा का भावनात्मक विस्तार भी है. मुझे विश्वास है कि पाठकों को इसमें अपनी झलक दिखेगी और यह उन्हें आत्मबल और प्रेरणा प्रदान करेगी. 

विशाल माथुर, जो एमडीएम पोलो कप और उससे जुड़ी सांस्कृतिक पहलों के लिए जाने जाते हैं, ने अपने विचार साझा करते हुए कहा "हुमा का यह उपन्यास सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि भावनाओं, प्रतीकों और आंतरिक शक्ति की परतों को उकेरने वाली एक खूबसूरत रचना है. ज़ेबा की यात्रा को जिस सहजता से हुमा ने पन्नों पर उतारा है, वह पाठक को शुरुआत से अंत तक बांधे रखती है. 

हार्पर कॉलिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित उपन्यास ‘ज़ेबा’ एक युवा महिला की आत्म-खोज, आंतरिक शक्ति और सामाजिक चुनौतियों के बीच खुद को पुनः परिभाषित करने की यात्रा को बयां करती है. यह पुस्तक स्त्री सशक्तिकरण, पहचान और आत्मबल जैसे विषयों को संवेदनशीलता और ईमानदारी से सामने लाती है. कार्यक्रम में पुस्तकप्रेमियों के साथ प्रश्नोत्तरी सत्र और पुस्तक पर हस्ताक्षर का कार्यक्रम भी हुआ, जहां हुमा क़ुरैशी ने उत्साहपूर्वक प्रतियों पर हस्ताक्षर किए.