मानवता और शोषण की सच्चाई को उजागर कर गया कफन नाटक
विजय सिंह। रवींद्र मंच पर मार्मिक कहानी से दिए गए संदेश
Ananya soch: natak Kafan
अनन्य सोच। natak Kafan: समाज में व्याप्त गरीबी, शोषण और मानवता के पतन को जब कलाकारों ने मंच पर कला के जरिए प्रस्तुत किया तो कुछ दर्शक भावुक तो कुछ रोमांचित नजर आए. एक्टिंग से उन्होंने अभिनय की बारीकियां भी दर्शाईं. ये थे कला साहित्य संस्कृति व पुरातत्व विभाग और रवींद्र मंच की ओर से संचालित टैगोर थिएटर योजना में हुए नाटक कफन के कलाकार, जिन्होंने मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी के नाट्य रूपांतरण पर प्रस्तुति दी. नाटक का निर्देशन विपिन शर्मा ने किया.
घीसू और बेटे माधव का आलस
कहानी का केंद्र बिंदु एक गरीब परिवार है, जिसमें घीसू और उसका बेटा माधव शामिल है. ये दोनों मजदूर हैं, लेकिन काम करने की बजाय आलस और निकम्मेपन में अपना जीवन बिता रहे हैं. उनकी दयनीय स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी साधन नहीं हैं. कहानी में माधव की गर्भवती पत्नी बुधिया जो 13 साल की है और प्रसव पीड़ा से गुजर रही होती है, लेकिन घीसू और माधव उसकी चिंता करने की बजाय पास के गांव से आलू चुराकर खाने में मशगूल हो जाते हैं. बुधिया की मृत्यु हो जाती है, लेकिन पिता-पुत्र पर इसका कोई असर नहीं होता.
कहानी में प्रेमचंद ने ना केवल गरीबी और भूख की भयावहता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जब इंसान पर गरीबी और शोषण का बोझ हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो उसकी नैतिकता और मानवता मर जाती है। घीसू और माधव जैसे पात्रों से लेखक ने संदेश दिया है कि जब इंसान के पास भूख मिटाने के साधन नहीं होते तो उसकी संवेदनाएं और मानवीय मूल्य धीरे-धीरे क्षीण हो जाते हैं. ऐसे में कफन ने एक कहानी का प्रदर्शन ही नहीं किया, बल्कि समाज के उन अंधेरे कोनों की ओर इशारा किया जहां इंसान केवल मरजीवित रहने के लिए ही संघर्ष करता है. नाटक ने समाज में व्याप्त असमानताओं, गरीबी और सामाजिक शोषण पर सोचने को मजबूर किया.
इन्होंने किया जीवंत अभिनय:
नाटक में यशोदा सेन, संजय कुमार शर्मा, रिया सैनी, शेफाली गुप्ता, विपिन शर्मा, तन्मय जैन, निकिता जैन, महेश योगी, वेद प्रकाश, संजय कुमार सेन, हरीश वर्मा ने अभिनय किया.