करवा चौथ आज: अखंड सौभाग्य और दीर्घ दांपत्य सुख के लिए महिलाएं रहेंगी निर्जल-व्रती

Ananya soch: Karwa Chauth
अनन्य सोच। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी अर्थात करक चतुर्थी या करवा चौथ का पवित्र व्रत शुक्रवार को पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा. सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु, आरोग्य और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए दिनभर निर्जला और निराहार व्रत रखेंगी. शाम को सोलह श्रृंगार से सुसज्जित महिलाएं मां गौरी, भगवान शिव, गणेश और कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करेंगी. पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने के बाद व्रत कथा का पाठ किया जाएगा. चंद्रोदय के बाद महिलाएं चलनी से चंद्र दर्शन कर पति का मुख देखकर जल ग्रहण करेंगी, जिससे व्रत पूर्ण होगा. मान्यता है कि इस व्रत से अखंड सौभाग्य, संतान सुख और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
चंद्रोदय का शुभ समय रात 8.27 बजे
चतुर्थी तिथि गुरुवार रात 2.49 बजे से प्रारंभ होकर शुक्रवार रात 12.24 बजे तक रहेगी. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देना मन की स्थिरता, सौभाग्य और निरोगी काया प्रदान करता है. चंद्रमा औषधियों के गुणों को संरक्षित करता है, और कार्तिक मास में यह ऊर्जा अपने चरम पर होती है. इसलिए इस दिन का व्रत विशेष फलदायी माना गया है.
बाजारों में करवा चौथ का रंग: सजे करवे और मेहंदी की महक
करवा चौथ के एक दिन पहले ही शहर के बाजारों में रौनक देखते ही बनती थी. महिलाओं ने पारंपरिक श्रृंगार सामग्री—चूड़ी, बिंदिया, कंगन, नेल पॉलिश, आर्टिफिशियल ज्वेलरी और डिजाइनर करवे की जमकर खरीदारी की. मालवीयनगर, राजापार्क, वैशालीनगर, विद्याधरनगर और मानसरोवर के बाजारों में मेहंदी आर्टिस्ट देर रात तक व्यस्त रहे. साजन के नाम की मेहंदी से सुहागिनों ने अपने हाथ सजाए.
गोटापत्ती और मिरर वर्क करवे की मांग अधिक
इस बार गोटापत्ती वर्क, किनारी और मिरर वर्क से सजे करवे व छलनियां बाजार में छाए रहे. महिलाओं ने परिधानों से मैचिंग चूड़ी-कंगन भी खरीदे. जयपुर के पारंपरिक बाजारों में बनारसी चिताई वाले, जयपुरी नक्काशीदार और कोलकाता के ओम-स्वास्तिक डिजाइन वाले करवे खूब बिके. स्टेटस सिंबल बने चांदी व पीतल के करवे भी महिलाओं की पहली पसंद बने.अखंड सौभाग्य के इस पर्व पर पूरे जयपुर में सजी रही भक्ति और श्रृंगार की अनूठी छटा.