मेलोडीज़ फॉरएवर: जहाँ सुर बोले, गीत मुस्काए और दिल झूम उठे

Ananya soch
अनन्य सोच। संकल्प कल्चरल सोसाइटी द्वारा रविवार को महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में आयोजित 66वां संगीत समारोह "मेलोडीज़ फॉरएवर" ठीक वैसी ही एक संध्या रही — जहाँ हर गीत किसी याद की तरह गूंजा, हर सुर किसी भावना की तरह बहा और हर श्रोता मुस्कान और सिहरन के साथ झूम उठा.
शुरुआत सुरों से – जब वाद्य बोले ‘शान’ से
दिल्ली के प्रसिद्ध "डो-रे-मी ऑर्केस्ट्रा" ने संगीत निर्देशक सतीश पोपली के नेतृत्व में फिल्म शान के टाइटल म्यूज़िक से संध्या की शुरुआत की. वाद्यों की संगति ने पूरे सभागार को झंकृत कर दिया जैसे धड़कनों ने लय पाई हो.
स्वर के मोती : एकल प्रस्तुतियाँ
कार्यक्रम की शुरुआत में राजेश शर्मा की प्रस्तुति "हाल क्या है दिलों का" और "देखा न हाय रे, अरे दीवानों" ने श्रोताओं को स्वर्ण युग के प्रेम में डुबो दिया. जया शर्मा की "काँटों से खींच के ये आँचल" में भावनाओं की गहराई स्पष्ट झलकी. इसके अलवा जय शर्मा, सतीश जैन, सरिता काला, हेमंत सोंखिया, निकिता बंसल, अनिल शर्मा, और शीना माथुर की प्रस्तुतियाँ भी सराही गईं.
प्रोफेशनल गायिकाओं की प्रस्तुतियों ने समा बंधा
इस मौके पर प्रदेश की चार प्रोफेनल गायिकाओं की असरदार प्रस्तुति ने वहां मौजूद सैकड़ों संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया. शिखा माथुर ने "रात अकेली है" और "आओ ना गले लगा लो ना" से सबको बाँध लिया. मधु भाट की "बड़ी लंबी जुदाई" और "सजना वे सजना" में विरह और चाह की पूरी कथा थी.अलीना भारती की "दिल चीज़ क्या है" और "रात बाकी आज की रात" में शहरी रूमानी रंग था. कविता आर्या ने "प्यार हुआ चुपके से" से श्रोताओं को रुकने नहीं दिया.
मैशअप और समूह गीत – रंगत की चरम सीमा
अलीना भारती के गाये "सात समंदर पार", जया शर्मा के "ले गई ले गई", मधु भाट के "लैला मैं लैला" की एकल प्रस्तुति के बाद कार्यक्रम का समापन एक जोशीले समूह गीत "दीवानगी है... ओम शांति ओम..." के साथ हुआ.
पं. जगदीश नारायण का हुआ सम्मान
इस मौके पर प्रसिद्ध भजन गायक पं. जगदीश नारायण शर्मा को भक्ति संगीत में चार दशकों से भी अधिक योगदान के लिए संकल्प संस्था की ओर से सम्मानित किया गया. यह सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, सदियों से बहते भक्ति संगीत की परंपरा को नमन था.