two solar eclipses update: नए साल में दो सूर्य ग्रहण, लेकिन भारत में नहीं रहेगा असर
Ananya soch: two solar eclipses update
अनन्य सोच। two solar eclipses update: नए साल 2025 में कुल चार ग्रहण होंगे। दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण. खास बात यह है कि दोनों सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे। केवल एक चंद्र ग्रहण ही भारत में दृश्यमान रहेगा. पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन लगेगा. यह पूर्ण ग्रहण दोपहर 14:21 बजे से शाम 18:14 बजे तक रहेगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका कोई धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा. साथ ही इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. जिन स्थानों पर यह ग्रहण दिखाई देगा, वहां सूतक ग्रहण के 12 घंटे पहले से शुरू हो जाएगा. ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि सूर्य ग्रहण खगोलीय दृष्टि से एक विशेष घटना है, जो सूर्य, पृथ्वी, और चंद्रमा की विशेष अवस्थाओं के कारण उत्पन्न होती है. जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है, जिसके कारण पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश कम या पूरी तरह से गायब हो जाता है, तो इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
यह विशेष रूप से बरमूडा, बारबाडोस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, उत्तरी ब्राजील, फिनलैंड, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, कनाडा का पूर्वी भाग, लिथुआनिया, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, सूरीनाम, स्वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, नॉर्वे, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र में देखा जा सकेगा. इस दौरान मीन राशि और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में ग्रहों का विशेष संयोग बनेगा. इस दिन मीन राशि में सूर्य और राहु के अतिरिक्त शुक्र, बुध और चंद्रमा उपस्थित होंगे. इससे द्वादश भाव में शनि विराजमान होंगे। इससे तीसरे भाव में वृषभ राशि में बृहस्पति, चौथे भाव में मिथुन राशि में मंगल और सप्तम भाव में कन्या राशि में केतु स्थित होंगे. पांच ग्रहों का प्रभाव एक साथ होने के कारण इस ग्रहण का राशियों पर बहुत गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता है.
दूसरा सूर्य ग्रहण:
वर्ष 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात्रि में लगेगा, जो आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन रात 22:59 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर की सुबह 03:23 बजे तक प्रभावी रहेगा. इस पूर्ण ग्रहण को न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी भागों में देखा जा सकेगा. यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका धार्मिक प्रभाव भी नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल मान्य होगा.
साल का दूसरा ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आकार लेगा. इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे और उन पर मीन राशि में बैठे शनि देव की पूर्ण दृष्टि रहेगी. इससे दूसरे भाव में तुला राशि में मंगल होंगे, छठे भाव में कुंभ राशि में राहु, दशम भाव में बृहस्पति और द्वादश भाव में शुक्र और केतु की युति होगी। कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए यह सूर्य ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली हो सकता है.